Friday, February 18, 2011

खास दिल चाहिए?...


हेल्लो दोस्त
प्यार का मौसम अपने पूरे शबाब पर है.हर दिल को एक दिल कि तलाश है.किसी कि तलाश खत्म हो चुकी है तो किसी 
कि नही .और वो भटक रहे हैं..एक खास दिल कि तलाश में उस दिल कि तलाश में जो अपनी धडकन कि लय उसके 
धडकन कि लय से मिला सके .जिसमे अपनेपन का एहसास हो,जो सुख दुःख में साथ हो ....



यूँ तो इन दिनों दिल का बाजार
(बाजार इस लिए चूँकि आज 
कल प्यरा में जजबात से ज्यादा जेब महत्व रखता है) 
काफी गर्म है..अगर आप थोडा सा फिट हैं तो मामला हिट 
समझिए.आप के लिए कदम कदम पर दिल के तोहफे पेश 
किये जा सकते हैं....लेकिन आपको अगर खास दिल कि 
तलाश है तो ऐसा दिल पाने के लिए थोड़े सब्र कि जरूरत होती है..क्यूँ कि
               हर किसी को जगह मिलती नही किसी के दिल में
               किस्मत वालों को पनाह मिलती है किसी के दिल में
प्यार के इस गुलाबी मौसम में हर तरफ प्यार का खुमार सर चढ के बोल रहा है..हर कोई सच्चे दिल का वेट कर रहा है...
                          
प्यार आयेगा.. 
   उसके आते ही 
       आसमान पर  
           गुलाबी बादल छायेंगे.
                 खुशिओं कि बारिश होगी..
                         और सारी धरती  
                             प्यार की बारिस में सराबोर हो जायेगी....

एक समस्या यहाँ आ जाती है हर किसी को सच्चा दिल चाहिए.उन्हें दुसरे दिल में सच्चाई, इमानदारी, मोहब्बत,  
मासूमियत, रहमदिली जैसे गुणों कि चाह होती है...और मजे कि बात यह कि दूसरा भी यही चाह रखता है...दोनों कि 
चाह तो एक होती है लेकिन ये गुण सिर्फ वे दूसरों में ही चाहते हैं खुद के लिए जरूरी नही समझते हैं...असली लोचा तो 
लोचा यहीं पर हो जाता है...
इस दुनिया में हर चीज को टिकाऊ व अच्छा बनाने का कोई न कोई नुस्खा इजाद कर लिया गया है लेकिन प्यार भरा 
और सच्चा दिल पाने का कोई ठोस उपाय नही हो पाया है...
हर मा बाप को अपने बच्चे में सरवन कुमार वाला दिल चाहिए.
हर पति को अपने पत्नी में सावित्री वाला दिल चाहिए.
बच्चों को मा बाप का दोस्ती भरा दिल चाहिए.
तो हर पत्नी को पति में प्रेमी वाला दिल चाहिए.
हर प्रेमिका को अपने प्रेमी में श्री कृष्ण वाला दिल चाहिए तो हर प्रेमी को रह वाला दिल चाहिए..
पर अफ़सोस न कोई श्री कृष्ण जैसा दिल रखना चाहता है और न ही कोई राधा सामान दिल कि मालकिन बनना चाहती 
है...
पत्नी के दिल को पति को कोसने के आलावा कुछ नही आता पति के दिल को गुस्सा व अनदेखी करने के आलावा कुछ 
नही आता.कहने का मतलब बस इतना है कि हर किसी को दुसरे का दिल ,एक आदर्श रूप में चाहिए .अपने दिल में चाहे
जिस कदर का लालच, बेवफाई, क्रूरता और चालाकी भरी हो पर दुसरे के दिल में मिठास होना चाहिए समर्पण होना चाहिए.
इतने बतकूचन का सिर्फ इतना सा मतलब है कि आज हर किसी को आदर्श दिल चाहिए .सच्चा प्यार चाहिए..जो सिर्फ 
उनके लिए समर्पित रहे वफादार रहे सच्चा रहे...पर बदले में वे????? लेकिन भईया ऐसा कहाँ होता है एक हाथ से ताली 
थोड़े ही बजती है...आदर्श दिल पाने का सिर्फ एक ही रास्ता है अपने अपने दिल को पूरे जतन के साथ सवारें-सुधारें सच्चा 
बनाइये.जैसा दिल चाहिए ठीक वैसा दिल अपना बनाइये..तभी जाकर आपको खास दिल पाने कि चाहत पूरी होगी...जरूर 
पूरी होगी...   


       

1 comment:

  1. ये बात तो पते कि कही है आपने पर कोई इसे समझे तब न

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