प्रसिद्ध विद्वान अरस्तु ने कहा था कि “मनुष्य एक सामजिक जानवर है”.मनुष्य भला जानवर कैसे हो सकता है.हमारे पास सोचने कि छमता है..आविष्कार करने कि छमता है . सीखने कि छमता है . हम भला हम जानवर कैसे हो सकते हैं. जानवर तो ऐसा नही कर सकते हैं...तो फिर क्या सोच इस महान विद्वान ने ये बात कही कि मनुष्य सामाजिक जानवर होता है....
जरा गौर करिये हममें और जानवरों में क्या फर्क है...हम हममें सोचने छमता होती है.क्या जानवरों में नही होती ? हम सीख सकते हैं..जानवरों में भी सीखने कि छमता होती है.हम अपनी सुविधा के लिए तमाम आविष्कार कर सकते है ..जानवर भी अपनी सुविधा के लिए आविष्कार कर लेते हैं..हम हम दुःख दर्द खुशी प्यार का अनुभव कर सकते है जानवर भी करते है.हम संत्त्नोत्पत्ति करते है जानवर भी करते हैं...जब सब कुछ सामान है तो आखिर क्या चीज है जो हम मनुष्यों को जानवरों से अलग करती है???
......ये हैं हमारे संस्कार,अच्छे बुरे का फर्क,सिर्फ अपना ही नही अपितु औरों का भी ख्याल रखना,अदब,लिहाज,और समाज निर्माण में रचनात्मक सहयोग...जिसे हम मनुष्यता या इंसानियत भी कह सकते है.यही इंसानियत ही हमें जानवरों से अलग बनाती है.
हमें जानवर से इसान बनाने का काम करते हैं हमारे गुरुजन.जो जिंदगी के हर मोड पर अपनी भूमिका निभाते है और हमें इंसान बनाते है....आप सोच रहे होंगे कैसे? तो भाई जरा पीछे मुड के देखो..जब इस दुनियां में आये थे तब क्या सूट बूट पहन कर आये थे??क्या खाना है?? क्या बोलना है ??आप को पता था ! आप को चलना आता था?? नही न ! ये सब है जिसने सिखाया वो हैं हमारे पहले गुरुजन हमारे माता-पिता..फिर हम थोड़े बड़े हुए स्कूल जाना शुरू किया वह हमें हाथ पकड़ कर लिखना सिखाया गया..पढ़ना सिखाया गया.मैनर सिखया गया...ये सिलसिला कॉलेज से लेकर यूनिवर्सिटी..फिर जॉब या बिजनेस तक चलता रहता है.जीवन के हर मोड पर जब हम बिखराव महसूस करते है...तब जो शख्सियत हमें सवारती है..वो गुरु ही है ...
हम सब कि जिंदगी में गुरुजनों का बड़ा योगदान होता है.माँ हमारा पहला गुरु है.
पिता और माता द्वारा दिए गए संस्कार हमारे जीवन को सही दिशा देते हैं.
स्कूल और कॉलेज के गुरु ज्ञान के दरवाजे हमारे लिए खोलते हैं.लेकिन जिंदगी से बड़ी युनिवर्सिटी कोई नही जिसका हर दिन उगने वाला सूरज हमें कुछ न कुछ नया देता है और हम अपने संस्कार के आधार पर उसे बना या बिगाड सकते हैं....
हमारे मुकल सर का भी यही मानना है..सर भी कहते हैं बेटा जिंदगी सबसे बड़ी गुरु है इसके शागिर्द बनो जीवन खुद में संगीत बन जायेगी और तुम रॉक करोगे..आप का क्या कहना है?
आपके मुकुल सर सही कहते हैं जिंदगी जब सिखाती है अच्छा ही सिखाती है
ReplyDeleteमुझे भी यही लगता है....सही बात है
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