ये सपनों को पंख लगते हैं.
जो भटके हम, राह दिखाते हैं.
चाहे हो पढाई का टेनसन
या फिर हो कोई प्रोब!
हर वक्त हमारी हेल्प के लिए,राजी रहते हो आप!
इतनी उलझन
फिर भी नो टेनसन,
हम सब का भार उठाते हैं.
हर प्रोब को दिखा के ठेंगा
बस ऐसे ये मुस्काते हैं..
ये अपने मुकुल सर हैं “आशी”
शिक्षा की ज्योति जलाते हैं....
आशीष शुक्रिया पर मैं इतनी तारीफ़ के लायक नहीं नैन बस अपना काम करता हूँ फिर भी आप जो देंगे सब सर माथे पर
ReplyDeleteबहुत खूब दिल खुस हो गया
ReplyDeleteachcha likha hai...
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