Monday, March 7, 2011

ये सपनों को पंख लगते हैं.














ये सपनों को पंख लगते हैं.
जो भटके हम, राह दिखाते हैं.
चाहे हो पढाई का टेनसन
या फिर हो कोई प्रोब!
हर वक्त हमारी हेल्प के लिए,राजी रहते हो आप!
इतनी उलझन
फिर भी नो टेनसन,
हम सब का भार उठाते हैं.
हर प्रोब को दिखा के ठेंगा
बस ऐसे ये मुस्काते हैं..
ये अपने मुकुल सर हैंआशी
शिक्षा की ज्योति जलाते हैं....

3 comments:

  1. आशीष शुक्रिया पर मैं इतनी तारीफ़ के लायक नहीं नैन बस अपना काम करता हूँ फिर भी आप जो देंगे सब सर माथे पर

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  2. बहुत खूब दिल खुस हो गया

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