हम न होते तो क्या होता ?..शायद ये धरती न होती...आसमान न होता...न नदियाँ
होती ...न झरने होते ....न सूरज उगता...न शाम होती..न शीला जवान होती और न
ही मुन्नी बदनाम होती.....धरती का नामों निशान न होता...भाई धरती का
आस्तित्व भी तो हमी से है.अगर हम न होते तो धरती का बैलेंस गड़बड़ा जाता और
धरती कब कि पलट चुकी होती..हमी से इंसानियत का नाम जिंदा है...और हामी से
हैवानियत का रोशन घरौंदा है...आप सोच रहे होंगे भला मेरे होने, न होने से इन सब
का क्या वास्ता???
वास्ता क्यूँ नही है जनाब?...अगर हम न होते तो भला हम कैसे जान पाते इन सारी
चीजों के बारे में या फिर कैसे महसूस कर पाते उन सारी बातों को जिनका जिक्र मैंने
ऊपर किया है..अब हम हैं तभी जान रहे हैं कि ये सारी चीजे भी हैं...लेकिन बात का
असली मुद्दा जो है वो ये है कि हम न होते तो क्या होता????देखने/सुनने में तो
बड़ा ही हल्का प्रश्न लगता है ये लेकिन जब मै इस बारे में लिखने बैठा तो मेरी बत्ती
गुल हो गई....अब तक सिर्फ दूसरी चीजों या लोगों के बारे में सोचा करता था कि ये
होता तो क्या होता ...वो न होता तो क्या होता .लेकिन अब तक ये नही सोचा था
कि हम न होते तो क्या होता....हम अपने जीवन में ज्यादा ज्यादा से ज्यादा समय
दूसरों के बारे में आलतू-फालतू ही खाफाते रहते हैं..लेकिन अपने बारे कभी ये ठीक से
नही सोचते कि भाई हामारा आस्तित्व क्या है? हम दुनिया को किस तरह से
कंट्रीब्यूट कर रहे हैं...सिर्फ बतकूचन में ही ज्यादा से ज्यादा टाइम गवांते हैं...
हर चीज का अपना आस्तित्व होता है..चाहे वह तिनका हो या पहाड...मनुष्य हो या
पशु...नदियाँ हो या फिर सागर ...और सभी इक दुसरे से कही न कहीं प्रभावित होते
हैं...इस आधार पर मै भी यह कह सकता हूँ कि अगर हम न होते तो तो कुछ लोग
जरूर प्रभावित होते...कुछ खुश होते तो कुछ ज्यादा खुश होते और कुछ के दुःख और
परेशानी का सबब भी मै होता..कहते हैं हर चीज का अपना दायरा होता है.जिसमें वह
प्रभावशाली होता है...मेरे भी दायरे में जो लोग हैं वो जरूर मुझसे प्रभावित होते...
हालंकि मै ये दावे के साथ नही कह सकता क्यूँकि वक्त अपने साथ कई विकल्प लेकर
चलता है...मै नही तो कोई और सही...जिंदगी कि गाडी चलती ही रहती है...लेकिन
इक बात है..जो सोलह आने सच है वो यह कि अगर गुरु जी आप न होते तो शायद
हम ब्लॉग पर ना होते...
प्रभावशाली होता है...मेरे भी दायरे में जो लोग हैं वो जरूर मुझसे प्रभावित होते...
हालंकि मै ये दावे के साथ नही कह सकता क्यूँकि वक्त अपने साथ कई विकल्प लेकर
चलता है...मै नही तो कोई और सही...जिंदगी कि गाडी चलती ही रहती है...लेकिन
इक बात है..जो सोलह आने सच है वो यह कि अगर गुरु जी आप न होते तो शायद
हम ब्लॉग पर ना होते...
kya mukul sir ne topic diya tha ki agar tum na hote class me? waise achchha likha hai par aur short sentence use karo aur sundar shabdon ka prayog kigiye..
ReplyDeleteआशीष जी अगर आप न होते तो मैं भी न होता आप शायद ये भूल रहे हैं कि मेरा अस्तित्व आप लोगों पर टिका है शुक्रिया दोस्त मेरी जिंदगी में होने के लिए
ReplyDeleteज्योति जी शुक्रिया...आप के सुझाव का आगे से ख्याल रखूंगा..
ReplyDeleteसर आप यही सहजता.सरलता आप को यूनीक बनाती है...सर आप का बहुत बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteसम्मानित ब्लोगर बन्धु, ब्लोगिंग के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें... "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" हिंदी ब्लोगरो में प्रेम, भाईचारा, आपसी सौहार्द, के साथ हिंदी ब्लोगिंग को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्पित है.....यह ब्लॉग विश्व के हर कोने में रहने वाले भारतियों का स्वागत करता है. आपसे अनुरोध है की आप इस "मंच" के "अनुसरणकर्ता" {followers} बनकर योगदान करें. मौजूदा समय में यह मंच लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया है. जिसमे आप भी भाग ले सकते है.
ReplyDeleteआपके शुभ आगमन का हम बेसब्री से इंतजार करेंगे..साथ ही अपने भारतीय साथियों को भी लायें .. धन्यवाद ..........
"भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" www.upkhabar.in/
सच मे दोस्त- न हम होते तो क्या होता...?
ReplyDeleteगहरे सवाल पे उम्दा प्रस्तुति!
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कभी तो तू इस ज़हान को भूल जाया कर
हरीश जी सुशील जी अमित जी ...आप सब का कोटि-कोटि धन्यवाद.
ReplyDeleteaap na hote to bjmc ka batch pura na hota..
ReplyDeleteachchi prastuti
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteभावना जी संगीता जी ..आपका बहुत आभार..
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