Tuesday, March 8, 2011

आखिर सरकार चाहती क्या है ?




आज सुबह का समाचार पत्र पढ़ रहा था.पहली खबर मोटे मोटे अक्षरों में ... ‘पी.जे.थामस की नियुक्ति ख़ारिज’थामस जी अब तक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के पद कि शोभा बढा रहे थे.और केंद्रीय सत्ता के काफी खासम-खास माने जाते हैं...तभी तो इनकी कुर्सी बचाने के लिए केन्द्रीय सत्ता ने अपनी पूरी दम लगा दी थी.थामस को बचाने में एक से बढ़ कर एक दलीलें दे थी...लेकिन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर ही दिया...और थामस महोदय के चारों खाने चित्त हो गए..थामस खुद तो चले गए लेकिंन साथ ही केंद्र सरकार की लुटिया डुबोते गए..
समझ नही आ रहा कि केंद्र सरकार चाहती क्या है?
पी जे थामस कि नियुक्ति को लेकर विपक्ष ने आवाज भी उठाई थी इसके बावजूद उन्हें देश के इस महत्वापूर्ण पद पर बैठाया गया .सिर्फ यही नही अभी कुछ दिन पहले टू जीस्पेक्ट्रम घोटाले की पोल खुली तब भी  केंद्र सरकार ने ऐसा ही रवैया अपनाया था। वह तरह-तरह के कुतर्क देकर यह साबित करने की कोशिश करती रही कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कोई गड़बड़ी नहीं हुई।आखिरकार उस मामले में भी असलियत लोगों के सामने आ ही गई.काले धन के मामले में सरकार की काहिली जग जाहिर है...
इन सारी बातों से ये साफ़ जाहिर होता है कि दागदार अतीत वाले अधिकारी को जान बूझ कर केंद्रीय सतर्कता आयुक्त बनाया गया..टू जी स्पेक्ट्रम मामले में भी देश को गुमराह करने कि कोशिश की गई.देश कि जनता जवाब चाहती है आखिर ऐसा क्यूँ किया गया?
आई नेक्स्ट (माय व्यू) में ७ मार्च को प्रकाशित.



1 comment:

  1. सही जा रहे हैं आप बधाई

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