हो अंतर्मन में तुम्ही प्रिये
तुम्हे भूलें भी तो कैसे?
हो जीवन ज्योति तुम्ही प्रिये
ये ज्योति भुझाऊ कैसे?
जीवन ये सुमन तुमसे ही है
तुमसे है सारी ऋतुएं.
तुम बिन जीवन मलमास है
ऋतुराग सुहाए कैसे.
कहना है तुम्हारा, जाओ भूल मुझे
हो जाओ अपने प्रेम विरुद्ध
पर अफ़सोस
मुझे माफ करना
जिद्दी है अपना प्रेम प्रिये
इसे समझाऊ भी तो कैसे
हो अंतर्मन में तुम्ही प्रिये
तुम्हे भूलूं भी तो कैसे..
दुनिया निष्ठुर दिल निश्चल है..
दिल की मानू या दुनिया की सुनूं .
तुम संग थी
अपनी हर बात प्रिये
ज़ज्बात भुलाऊ कैसे?
तुम्हे भूलूं भी तो कैसे
तुम्हे भूलूं भी तो कैसे
हो जीवन ज्योति तुम्ही प्रिये
ये जीवन ज्योति बुझाऊ कैसे.
कहना है तुम्हारा, जाओ भूल मुझे
ReplyDeleteहो जाओ अपने प्रेम विरुद्ध
पर अफ़सोस
मुझे माफ करना
जिद्दी है अपना प्रेम प्रिये
इसे समझाऊ भी तो कैसे ............
bhut sundar....ashish..........
tumhare jazbat....saf ho rhe hai....
badhiya....likhte raho.....
शुक्रिया शुभी..
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